आज हम आपको भीम आर्मी के सह-संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद रावण के बारे में बतायेगे। 2014 में निर्मित भीम आर्मी भारत में शिक्षा के माध्यम से दलित वर्ग की मुक्ति के लिए काम करता है।

चंद्रशेखर आजाद रावण ‘अम्बेडकरवादी’ विचारधारा के व्यक्ति है। यह भीम आर्मी के सह-संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। इनकी पार्टी की अधिकांश लोकप्रियता दलित और अनुसूचित जनजातियों से आती है।
इनका जनम सहारनपुर, उत्तरप्रदेश में हुआ था। चंद्रशेखर पेशे से वकील और दलित-बहुजन अधिकार कार्यकर्ता हैं। फरवरी 2021 में, टाइम मैगज़ीन ने उन्हें ‘भविष्य को आकार देने वाले 100 उभरते नेताओं’ की अपनी सूची में शामिल किया था। वैसे चंद्रशेखर की कोई राजनीतिक विरासत नहीं रही है।
- संगठन- भीम आर्मी
- राजनीतिक दल- आजाद समाज पार्टी
आज़ाद की पार्टी में सक्रियता:
आजाद ने खुद को दलित नेता के रूप में स्थापित किया, और वह अपनी इसी शैली के लिए जाने जाते हैं। आजाद और उनके समर्थकों ने सफदरजंग अस्पताल दिल्ली में विरोध प्रदर्शन भी किया था, जहां उत्तरप्रदेश के हाथरस की एक 19 वर्षीय महिला की सामूहिक बलात्कार के बाद मौत हो गई थी। जिसके लिए दोषियों को सजा देने की मांग की। फिर चंद्रशेखर आजाद कृषि कानूनों के विरोध में अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ दिल्ली-गाजीपुर सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ शामिल हो गए।
भीम आर्मी की स्थापना:
2014 में भीम आर्मी की स्थापना सतीश कुमार, आजाद और विनय रतन सिंह ने की थी। यह एक ऐसा संगठन है जो भारत में शिक्षा के माध्यम से दलित वर्ग की मुक्ति के लिए काम करता है। इनकी पार्टी की अधिकांश लोकप्रियता अनुसूचित और दलित जनजातियों से आती है। यह पश्चिमी उत्तरप्रदेश में दलित छात्रों के लिए मुफ्त स्कूल भी चलते है।
2020 बिहार विधानसभा चुनाव में भूमिका:
चंद्रशेखर आज़ाद ने अपना करियर भीम आर्मी के नेता के रूप में शुरू किया था। जो उत्तरप्रदेश में स्थित एक संगठन था लेकिन बाद में चुनावी राजनीति में भाग लेने के लिए आज़ाद समाज पार्टी का गठन किया।