नोएडा ट्रैफिक पुलिस की ओर से एक अजीबोगरीब चालान का मामला सामने आया है, जिसने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। एक कार मालिक को बिना हेलमेट पहने वाहन चलाने पर 1,000 रूपए का चालान भेजा गया है। जबकि वह कार चला रहे थे, बाइक नहीं।
चालान को देखकर वाहन मालिक चौंक गया। उसमें उल्लंघन की श्रेणी में बिना हेलमेट लिखा था, साथ ही जो तस्वीर चालान में संलग्न थी, वह एक स्कूटी की थी जिसकी नंबर प्लेट धुंधली और अस्पष्ट थी। दिलचस्प बात यह रही कि स्कूटी के नंबर प्लेट का अंक उनकी कार के नंबर से काफी मिलता-जुलता था।
सोशल मीडिया पर छाया मामला
वाहन मालिक ने अपनी आपबीती Reddit पर साझा करते हुए मदद की गुहार लगाई। पोस्ट का शीर्षक था, Received a Without Helmet Challan for my Fronx. Need Help. इसके बाद कई अन्य यूजर्स ने भी अपने साथ हुई ऐसी घटनाएं साझा कीं और बताया कि कैसे ट्रैफिक चालान की ग़लतियों से जूझना पड़ा।
लोगों की प्रतिक्रिया
इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कई लोगों ने इसे ‘हास्यास्पद और लापरवाही’ बताया, वहीं कुछ ने इसे प्रशासनिक चूक करार दिया और ट्रैफिक विभाग की तकनीकी प्रणाली पर सवाल उठाए।
एक यूजर ने लिखा, कार चला रहा हूं और हेलमेट का चालान आ गया, अब ट्रैफिक पुलिस को हेलमेट की परिभाषा फिर से समझनी चाहिए। वहीं दूसरे ने कहा, ऐसी गड़बड़ियों से आम जनता का समय और पैसा दोनों बर्बाद होता है।
क्या करें अगर आपको गलत चालान मिले?
यदि किसी व्यक्ति को इस प्रकार का गलत चालान प्राप्त होता है, तो वह निम्नलिखित कदम उठा सकता है:
- यूपी ट्रैफिक पुलिस की वेबसाइट पर जाकर चालान को चैलेंज कर सकता है
- परिवहन पोर्टल पर शिकायत दर्ज कर सकता है
- X (पूर्व में ट्विटर) पर राज्य ट्रैफिक विभाग को टैग कर सकता है
- संबंधित ट्रैफिक एसीपी ऑफिस जाकर शिकायत दर्ज कर सकता है
सवाल ट्रैफिक सिस्टम की सटीकता पर
यह घटना न सिर्फ ट्रैफिक पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे तकनीकी गड़बड़ी या मानवीय त्रुटि से निर्दोष नागरिकों को नुकसान झेलना पड़ सकता है। ऐसे में ज़रूरत है कि ट्रैफिक विभाग अपनी मशीन लर्निंग और नंबर प्लेट पहचान प्रणाली (ANPR) की सटीकता को सुधारे और जवाबदेही सुनिश्चित करे।
कार के लिए हेलमेट का चालान देना न केवल मज़ाक का विषय बन गया, बल्कि यह आम नागरिक की परेशानियों और ट्रैफिक प्रणाली की खामियों को भी उजागर करता है। ऐसे मामलों में जागरूकता और तकनीकी सुधार की सख्त जरूरत है।
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