भोपाल में चल रहे मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत शहर के 8 मेट्रो स्टेशनों पर पार्किंग की सुविधा के लिए 12 बड़े प्लॉट चिन्हित किए गए हैं। यह कदम यात्रियों की सुविधा और यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए उठाया गया है। हालांकि, इन प्लॉटों पर स्वामित्व को लेकर विवाद शुरू हो गया है, जिससे परियोजना की प्रगति पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
पार्किंग के लिए 12 बड़े प्लॉट तय
मेट्रो प्रोजेक्ट के अधिकारियों ने बताया कि चिन्हित किए गए 12 प्लॉट रणनीतिक स्थानों पर हैं, ताकि मेट्रो उपयोगकर्ताओं को वाहन पार्क करने में कोई परेशानी न हो। ये प्लॉट एमपी नगर, हबीबगंज, पुल बोगदा, गुलमोहर, AIIMS और कोलार रोड जैसे प्रमुख स्टेशनों के आसपास स्थित हैं।
प्रत्येक पार्किंग स्थल पर आधुनिक सुविधाएं जैसे कि CCTV निगरानी, इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग पॉइंट और सुव्यवस्थित एंट्री-एग्जिट पॉइंट बनाए जाएंगे। अधिकारियों का मानना है कि इससे मेट्रो सेवा शुरू होने पर यातायात का दबाव काफी हद तक कम होगा।
जमीन अधिग्रहण में विवाद
इन प्लॉटों में से कई पर निजी स्वामित्व का दावा किया जा रहा है। कुछ स्थानों पर सरकारी विभागों के बीच भी स्वामित्व को लेकर मतभेद सामने आए हैं। प्रभावित पक्षों ने आरोप लगाया है कि जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई।
इन विवादों के चलते मेट्रो प्रोजेक्ट की समयसीमा प्रभावित हो सकती है। प्रशासन का कहना है कि सभी पक्षों के साथ बातचीत कर समाधान निकाला जाएगा, ताकि परियोजना में देरी न हो।
परियोजना की प्रगति और चुनौतियां
भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट को समय पर पूरा करने के लिए पार्किंग की सुविधा एक अहम आवश्यकता मानी जा रही है। बिना पार्किंग के मेट्रो उपयोगकर्ताओं को निजी वाहन लाने में दिक्कत होगी, जिससे मेट्रो की सवारी संख्या घट सकती है।
इसके अलावा, भूमि विवाद के चलते निर्माण कार्य रुकने की संभावना भी जताई जा रही है। नगर निगम और मेट्रो प्रशासन मिलकर वैकल्पिक समाधान पर भी विचार कर रहे हैं, ताकि विवादित जमीन के स्थान पर दूसरी जगह पार्किंग बनाई जा सके।
अधिकारियों का कहना है कि पार्किंग के बिना मेट्रो सेवा का लाभ आम जनता तक पूरी तरह नहीं पहुँच पाएगा। इसी कारण पार्किंग स्थलों का विकास परियोजना के पहले चरण में ही प्राथमिकता पर किया जा रहा है। भविष्य में इन पार्किंग स्थलों को मल्टीलेवल स्ट्रक्चर के रूप में विकसित करने की योजना भी है, ताकि अधिक वाहनों को समायोजित किया जा सके और जमीन का अधिकतम उपयोग हो।