मध्यप्रदेश में स्मार्ट मीटर की स्थापना को लेकर फैल रही भ्रामक खबरों को विद्युत विभाग ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है। सोशल मीडिया और कुछ प्रिंट माध्यमों में यह दावा किया जा रहा था कि सुप्रीम कोर्ट या मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने स्मार्ट मीटर लगाना अनिवार्य नहीं बताया है, जबकि यह पूरी तरह निराधार, असत्य और गुमराह करने वाली जानकारी है।

मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने स्पष्ट किया है कि सुप्रीम कोर्ट अथवा हाईकोर्ट द्वारा स्मार्ट मीटर को लेकर कोई रोक या निर्णय नहीं दिया गया है। स्मार्ट मीटर भारत सरकार की एक राष्ट्रीय योजना का हिस्सा हैं और इन्हें पूरे देश में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है।
स्मार्ट मीटर से डरने की जरूरत नहीं
भोपाल विद्युत कंपनी के अनुसार, अब तक साढ़े तीन लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं। उपभोक्ताओं के अनुभव भी इस तकनीक के पक्ष में हैं। गुना जिले के विष्णु धाकड़ ने बताया कि उन्हें शुरू में संदेह था, लेकिन स्मार्ट मीटर लगने के बाद उनका बिजली बिल सिर्फ 80 रूपए आया और कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई।
एक अन्य उपभोक्ता ने कहा कि स्मार्ट मीटर से बिल कम आया और अब बिजली की खपत पर निगरानी रखना आसान हो गया है।
ऐप के माध्यम से नियंत्रण और पारदर्शिता
उपभोक्ता अब मोबाइल ऐप के माध्यम से अपनी रीयल-टाइम बिजली खपत को मॉनिटर कर पा रहे हैं, जिससे वे जरूरत के अनुसार उपकरणों का उपयोग नियंत्रित कर पा रहे हैं और बिजली बिल में कटौती हो रही है।
सोलर ऑवर में मिल रही है 20% छूट
स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के लिए सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे (ऑफ-पीक सोलर समय) के दौरान बिजली की खपत पर 20% की छूट भी दी जा रही है। यह लाभ 10 किलोवाट तक लोड वाले LT औद्योगिक, स्ट्रीट लाइट और जल आपूर्ति उपभोक्ताओं को मिल रहा है।
उपभोक्ताओं से अपील:
कंपनी ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि सोशल मीडिया की अफवाहों पर ध्यान न दें और स्मार्ट मीटर को लेकर सकारात्मक सोच रखें। यह एक तकनीकी उन्नति है जो उपभोक्ताओं की सुविधा, पारदर्शिता और सटीकता को सुनिश्चित करती है।


