शहडोल जिले के अमराडंडी गांव में बच्चे सरकारी स्कूल होते हुए भी पेड़ के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर है। ऐसा इसलिए क्योकि शासकीय स्कूल का भवन इतना जर्जर हो गया है कि प्लास्टर के बड़े-बड़े टुकड़े गिरने लगे हैं, जिससे वहां पढ़ाई करना खतरे से खाली नहीं है।
Shahdol News: जहा एक तरफ देश में स्कूल चलो अभियान चल रहा है वही दूसरी तरफ जो बच्चे स्कूल में पढ़ने आ रहे है उनकी पढाई की व्यवस्था करने में शासन की नाकामी सामने आयी है। यह मामला है शहडोल के अमराडंडी गांव के शासकीय प्राथमिक स्कूल का, जहा बच्चे पेड़ के नीचे बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योकि स्कूल भवन कई साल पहले बना था, लेकिन अब पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। छत से प्लास्टर के टुकड़े गिर रहे हैं, और दीवारों में दरारें आ चुकी हैं, जिससे कभी भी भवन ढह सकता है। इसलिए बच्चों को ऐसी जगह पढ़ने में बहुत खतरा है।
नए स्कूल भवन के निर्माण के लिए पिछले चार साल से गांववाले और स्कूल प्रबंधन प्रयासरत हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। स्थानीय प्रशासन को कई बार बताया गया, फिर भी हालात जस के तस हैं। करीब 25 से 30 बच्चों वाले इस स्कूल का भवन 20 साल पुराना है और अब इतना खतरनाक हो चुका है कि माता-पिता अपने बच्चों को वहां भेजने से भी डरते हैं।
इसलिए पिछले छह महीनों से बच्चे पेड़ की छांव या एक झोपड़ी में पढ़ाई कर रहे हैं। बारिश के दौरान गांव के एक व्यक्ति की झोपड़ी में पढ़ाई हो रही थी, जबकि अब पेड़ की छांव के नीचे स्कूल चल रहा है।
विद्यालय के हालात को देखकर यह साफ है कि बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा दोनों ही खतरे में हैं, लेकिन प्रशासन की उदासीनता अब भी जारी है।