इंदौर के गांधी नगर क्षेत्र में एक 35 वर्षीय सिक्योरिटी गार्ड अर्जुन सोलंकी ने शुक्रवार को आत्महत्या कर ली। आत्महत्या से पहले उसने अपनी 8 साल की बेटी को पैसे देकर बाहर भेज दिया। जब बेटी वापस आई तो उसने अपने पिता को गंभीर हालत में पाया और घबराकर पड़ोसियों को सूचना दी। पड़ोसियों ने उसे अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
मृतक के परिवार के अनुसार, अर्जुन ऑनलाइन गेमिंग और कर्ज के बोझ तले दबा हुआ था। पुलिस के मुताबिक, अर्जुन ने जहरीला पदार्थ खाकर और खुद को चाकू से घायल करके आत्महत्या का प्रयास किया है। घटनास्थल से एक सुसाइड नोट भी मिला है, जिसमें उसने कर्जदारों का उल्लेख किया है, जो उसे लगातार परेशान कर रहे थे।
अर्जुन के भाई महेश ने बताया कि अर्जुन पहले रिक्शा चलाता था, इस दौरान उसने 10 लाख रुपये का कर्ज लिया था, जिसे परिवार ने चुका दिया है। इसके बाद अर्जुन इंदौर आकर सिक्योरिटी गार्ड का काम करने लगा, लेकिन यहां भी उसने 4 से 5 लाख रुपये का कर्ज लिया था। कर्जदारों के निरंतर दबाव के कारण ही उसने आत्महत्या का कदम उठाया।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, दो महीने पहले अर्जुन ने आत्महत्या की कोशिश की थी, लेकिन समय रहते उसे बचा लिया गया था। अर्जुन ने अपनी बेटी ईशिका को पैसे देकर बाहर भेजने के बाद घर का गेट बंद कर लिया और जहरीला पदार्थ खा लिया। इसके बाद उसने खुद को चाकू से घायल कर लिया। बेटी की चीख-पुकार सुनकर पड़ोसी उसके घर पहुंचे और पत्नी को फोन किया, लेकिन तब तक अर्जुन की मौत हो चुकी थी।
घटनास्थल से मिले सुसाइड नोट में अर्जुन ने उसे परेशान करने वाले कर्ज़दारो का नाम लिखा है। फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
फिलहाल देश में अवैध ऑनलाइन गेमिंग के बढ़ते प्रभाव और उसके दुष्परिणामों को नियंत्रित करने में सरकार की निष्क्रियता साफ दिखाई दे रही है। अर्जुन सोलंकी जैसे मामलों में यह स्पष्ट हो गया है कि ऑनलाइन गेमिंग की लत और इससे जुड़ी मानसिक समस्याएं व्यक्तियों के जीवन को संकट में डाल सकती हैं। सरकार द्वारा ऐसे गेमिंग एप्लिकेशनों पर प्रभावी नियंत्रण और सख्त नियमन की कमी है, जिससे युवाओं और लोगों में इन एप्लिकेशनों की आदतें बढ़ रही हैं और यह उनके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल रही हैं।
यदि सरकार और संबंधित विभाग समय रहते इन एप्लिकेशनों के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाते, तो ऐसी घटनाएं और भी बढ़ सकती हैं, जो समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय बन सकती हैं।