भारत में लाल रंग की नंबर प्लेट कुछ विशेष वाहनों और व्यक्तियों के लिए आरक्षित होती है। इसका उपयोग सामान्य वाहनों के लिए नहीं किया जाता बल्कि यह विशेष परिस्थितियों और उच्च पदस्थ अधिकारियों की गाड़ियों को दिया जाता है। लेकिन बहुत कम लोग इसके सही मायने जानते हैं।
किन वाहनों को दी जाती है लाल नंबर प्लेट?
- राष्ट्रपति और राज्यपाल की गाड़ियां
भारत के राष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपालों की गाड़ियों में लाल नंबर प्लेट होती है। इसमें नंबर की जगह अशोक चिह्न होता है, जो इन वाहनों को विशिष्ट पहचान देता है।
- टेस्टिंग व्हीकल (परीक्षण वाहन)
जब वाहन निर्माता कंपनियां अपनी नई गाड़ियों का परीक्षण करती हैं, तो उन वाहनों पर लाल नंबर प्लेट लगाई जाती है। यह दर्शाता है कि गाड़ी अभी बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं है और उसका टेस्ट ड्राइव या प्रमोशनल उपयोग किया जा रहा है।
इसका अलावा जब शोरूम से नयी गाडी निकलती है तो उसे भी लाल रंग का टेम्पररी नंबर दिया जाता है, जिसकी वैधता सिर्फ 1 माह होती है।
लाल नंबर प्लेट का महत्व
- यह सुरक्षा और विशेषाधिकार का प्रतीक है।
- केवल विशिष्ट सरकारी अधिकारियों और परीक्षण वाहनों को ही इसकी अनुमति होती है।
- इसका सामान्य नागरिकों की गाड़ियों में उपयोग पूरी तरह प्रतिबंधित है।
भारत में अन्य रंगों की नंबर प्लेट और उनका महत्व
- सफेद नंबर प्लेट – निजी वाहनों के लिए होती है।
- पीली नंबर प्लेट – व्यावसायिक वाहनों के लिए दी जाती है, जिनका उपयोग टैक्सी, ऑटो, बस आदि में होता है।
- नीली नंबर प्लेट – सरकारी वाहनों के लिए होती है।
- हरी नंबर प्लेट – इलेक्ट्रिक वाहनों को दी जाती है, जो पर्यावरण के अनुकूल होते हैं।
- काली नंबर प्लेट – सेल्फ-ड्राइव किराए पर दी जाने वाली गाड़ियों के लिए होती है।
भारत में लाल नंबर प्लेट केवल राष्ट्रपति, राज्यपाल और परीक्षण वाहनों को दी जाती है। यह सुरक्षा, प्रतिष्ठा और विशेषाधिकार का प्रतीक है। अगर आपको किसी गाड़ी पर लाल नंबर प्लेट दिखे, तो समझ जाइए कि वह सामान्य वाहन नहीं, बल्कि विशेष उपयोग के लिए अधिकृत है।
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