उत्तर प्रदेश के बरेली जिले से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक युवक ने खुदकुशी करने से पहले एक वीडियो रिकॉर्ड किया। वीडियो में उसने अपनी पत्नी और ससुराल पक्ष पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि “लड़का होना बड़ा गुनाह है, क्योंकि आपकी कोई नहीं सुनता – न कानून, न ही पुलिस।”
मृतक युवक की पहचान भोजीपुरा थाना क्षेत्र के रहने वाले सुरेंद्र सिंह के रूप में हुई है। प्राप्त सुचना के मुताबिक आत्महत्या से पहले सुरेंद्र ने छह मिनट लंबा एक वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें उसने अपनी पत्नी, सास और पत्नी के मुंहबोले बहनोई पर प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए।
वीडियो में सुरेंद्र ने कहा,
“मैं जीना नहीं चाहता, लेकिन मरने की भी हिम्मत नहीं है… मेरी शादी 2020 में हुई थी, लगा था कि जिंदगी बदल जाएगी, लेकिन मेरी पत्नी का किसी और के साथ संबंध था। मेरी सास कहती थी कि बेटी 15 दिन ससुराल और 15 दिन मायके में रहेगी। धीरे-धीरे मेरी जिंदगी मुश्किल होती चली गई।”
ससुराल पक्ष से प्रताड़ना:
सुरेंद्र ने वीडियो में आगे बताया कि पत्नी ने उस पर झूठे मुकदमे दर्ज कराए, प्रेमी से पिटवाया और धमकी दी कि 15-20 लाख रूपए देकर समझौता कर लो। उसने कहा कि वह लगातार मानसिक तनाव में था और हालात ऐसे हो गए कि उसे आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ा।
सुरेंद्र ने अपनी मां-बाप के लिए भावुक संदेश भी दिया और सरकार से अपील की कि उनके माता-पिता को परेशान न किया जाए। उसने यहां तक कहा कि उसके शव का पोस्टमॉर्टम न कराया जाए।
पुलिस ने दर्ज किया मामला, जांच जारी:
सुरेंद्र का शव 25 जनवरी की सुबह उसके सूअर पालन फार्म के पास बने कमरे में फंदे से लटका मिला। मामले के सामने आने पर पुलिस ने पत्नी, सास और एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
समाज के लिए बड़ा सवाल:
इस घटना ने एक बार फिर से मानसिक स्वास्थ्य, वैवाहिक विवादों और पुरुषों के कानूनी अधिकारों को लेकर गंभीर बहस छेड़ दी है। सुरेंद्र की बातों ने यह सवाल उठाया है कि क्या कानून वाकई निष्पक्ष है, या पुरुषों की समस्याओं को उतनी गंभीरता से नहीं लिया जाता?
अतुल सुभाष, इंदौर के बाणगंगा इलाके के 28 वर्षीय फोटोग्राफर नितिन पडियार, 22 वर्षीय आनंद परमार और न जाने कितने पुरुष अपनी बीवी और ससुराल पक्ष की प्रताड़ना के शिकार हुए हैं। पुरुषों के कानूनी अधिकारों की कमी भी ऐसी घटनाओं को और जटिल बना देती है। ऐसी घटनाएँ सिर्फ आत्महत्या नहीं हैं, बल्कि यह सिस्टम और समाज की खामियों को उजागर करने वाली कड़वी सच्चाई हैं। सवाल यह है कि अगर सुरेंद्र को सही समय पर न्याय और सहायता मिली होती, तो क्या वह अपनी जान देने को मजबूर होता?”
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