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    सैलरी न मिलने से गई निगम कर्मचारी को आया हार्ट अटैक, चार दिन बाद बेटे की भी मौत

    शहर में एक दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। चंडीगढ़ नगर निगम में संविदा पर कार्यरत ट्यूबवेल ऑपरेटर राजेश शर्मा की वेतन न मिलने के कारण दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। लेकिन यह दुख यहीं नहीं थमा, पिता की मौत के चार दिन बाद उनके बेटे रुद्राक्ष की भी दर्दनाक मौत हो गई। इस घटना ने पूरे इलाके में शोक और आक्रोश की लहर फैला दी है।

    पहला झटका: सैलरी न मिलने से टूटा दिल

    राजेश शर्मा निगम में संविदा आधार पर ट्यूबवेल ऑपरेटर के पद पर कार्यरत थे। 28 फरवरी 2025 को उनका कांट्रेक्ट समाप्त हो गया था, और उसके बाद से ना कोई नया करार किया गया, ना ही उन्हें वेतन मिला। लगातार आर्थिक संकट और नौकरी के भविष्य को लेकर तनाव में जी रहे राजेश को चार दिन पहले हार्ट अटैक आया, जिससे उनकी मौत हो गई।

    दूसरा झटका: बेटे पर टूटी आफत

    राजेश शर्मा का अंतिम संस्कार करने के बाद जब उनका बेटा रुद्राक्ष घर लौट रहा था, तभी घर के पास जामुन के पेड़ की एक भारी टहनी उसके ऊपर गिर गई। सिर में गंभीर चोट लगने के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान रविवार को उसकी भी मौत हो गई।

    चार दिन के भीतर पिता और बेटे दोनों की मौत ने इस परिवार को तबाह कर दिया है। बताया जा रहा है कि राजेश शर्मा की पत्नी उनसे अलग रहती हैं, और अब परिवार में केवल बड़ा बेटा ही बचा है।

    नगर निगम ने जताया दुख, नौकरी देने का वादा

    इस दर्दनाक हादसे की जानकारी मिलते ही नगर निगम के सीनियर डिप्टी मेयर जसबीर सिंह बंटी पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे। उन्होंने बताया कि राजेश शर्मा जैसे कई आउटसोर्स कर्मचारी पिछले कई महीनों से वेतन न मिलने के कारण मानसिक तनाव में जी रहे हैं।

    बंटी ने यह भी कहा कि वे नगर निगम की जनरल हाउस मीटिंग में एक प्रस्ताव लाएंगे, जिसके तहत राजेश शर्मा के बड़े बेटे को एक जून से नौकरी पर नियुक्त किया जाएगा।

    मेयर से की अपील, जल्द हो वेतन जारी

    सीनियर डिप्टी मेयर ने मेयर हरप्रीत कौर बबला से अपील की है कि निगम के सभी आउटसोर्स कर्मचारियों की लंबित सैलरी तत्काल प्रभाव से जारी की जाए, ताकि कोई और कर्मचारी तनाव में अपनी जान न गंवाए।

    यह घटना केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि सिस्टम की एक बड़ी लापरवाही का प्रतीक बन चुकी है। मानसिक तनाव, आर्थिक असुरक्षा, और संविदा व्यवस्था की अनिश्चितता कर्मचारियों को किस कगार पर ले जा सकती है, इसका जीता-जागता उदाहरण है राजेश शर्मा और उनके बेटे की मौत।

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    Suyash Gupta
    Author: Suyash Gupta

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