मध्य प्रदेश में चल रहे विभिन्न रेल प्रोजेक्ट्स में से एक ‘इंदौर-बुधनी रेल लाइन परियोजना’ सबसे अधिक चर्चा का विषय बनी हुई है। यह परियोजना 6 साल पहले शुरू हुई थी, लेकिन भूमि अधिग्रहण को लेकर किसानों की असहमति के चलते विवादों में घिरी रही। प्रभावित किसान अपनी जमीन के बदले तय मानकों से चार गुना ज्यादा मुआवजा मांग रहे हैं।
किसानों की मांग और संघर्ष:
भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों ने पिछले डेढ़ साल में काफी संघर्ष किया है। उन्होंने 6 महीने तक क्रमिक भूख हड़ताल भी की। जिसके बाद हाल ही में खातेगांव विधायक आशीष शर्मा के नेतृत्व में किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात की और मुआवजा राशि चार गुना बढ़ाने की मांग दोहराई है। किसानों का कहना है कि मौजूदा कलेक्टर गाइडलाइन में पिछले 10 वर्षों में कोई बड़ी वृद्धि नहीं हुई, जिसके चलते उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है।
यह भूमि किसानों की आजीविका का एकमात्र साधन है। भूमि अधिग्रहण से उनका परिवार आर्थिक संकट में आ सकता है। वह चाहते हैं कि उन्हें पर्याप्त मुआवजा दिया जाए ताकि वह नई जमीन खरीदकर खेती जारी रख सकें।
मुख्यमंत्री का आश्वासन:
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने किसानों और विधायक आशीष शर्मा को आश्वासन दिया कि उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी किसान को भूमिहीन नहीं किया जाएगा, और उनकी आजीविका सुरक्षित रखने के लिए उचित निर्णय लिए जाएंगे।
परियोजना की विशेषताएं:
- परियोजना स्वीकृति वर्ष: 2018-19
- लंबाई: 205 किमी
- प्रमुख रूट: इंदौर के मांगलिया, नेमावर, बुधनी होते हुए जबलपुर
- प्रमुख संरचनाएं: 105 पुल-पुलियाएं, 33 ब्रिज, 7 किमी लंबी सुरंग
- फायदा: इंदौर से जबलपुर की दूरी 68 किमी कम होगी।
इस परियोजना के लिए वर्तमान बजट में 1080 करोड़ रुपये की बड़ी राशि आवंटित की गई है।
यदि सरकार किसानों की चार गुना मुआवजा मांग को मान लेती है, तो यह न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाएगा बल्कि परियोजना की प्रगति में भी सहायक होगा। किसान अपनी जमीन के उचित मूल्य की मांग को लेकर अब भी अडिग हैं और सरकार से सकारात्मक निर्णय की उम्मीद कर रहे हैं।