अभी कुछ ही दिन पहले हुई बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 11 हाथियों की मौत का मामला प्रदेश भर में चर्चा का विषय बन गया है। इस गंभीर घटना के बावजूद, सिर्फ वन्य प्राणी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नितिन गुप्ता पर कार्रवाई की गई है। उन्हें बांधवगढ़ से हटा कर महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव व्हाइट टाइगर सफारी, सतना भेजा गया है, जबकि उच्च अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस विषय ने शासन की जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्ष ने इसे प्रबंधन की विफलता बताते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
प्रशासनिक कार्रवाई पर उठे सवाल:
हाथियों की मौत जैसी गंभीर घटना के बाद भी प्रबंधन पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, जिसके कारण सरकार को घेरते हुए विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार इस मामले को ठंडा करने के लिए केवल एक डॉक्टर का तबादला कर दिया।
घटना की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी एक जांच टीम भेजी, और राज्य व क्षेत्रीय अधिकारियों ने भी स्थल का दौरा किया। हालांकि, किसी भी वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
स्थानीय लोग और वन्यजीव प्रेमी इस घटना से बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि इतनी बड़ी घटना के बावजूद प्रबंधन और बड़े अधिकारियों को बचाया जा रहा है, जो भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को आमंत्रित कर सकता है।
लोगो को आगे की कार्रवाई पर संदेह
इस घटना ने प्रदेश में वन्यजीव सुरक्षा और प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। क्या केवल एक डॉक्टर पर कार्रवाई से समस्या का हल निकलेगा, या फिर सरकार को बड़े स्तर पर जिम्मेदारी तय करनी होगी? फिलहाल, लोग सरकार के अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं।
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