वैसे तो प्याज काटने पर आसु आते है पर अब प्याज की बढ़ी हुई कीमते सुनकर आँखे भर जाती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार देश के प्रमुख प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में भारी बारिश ने नई लाल प्याज की फसल को प्रभावित कर दिया है, जिससे पूरे देश, खासकर उत्तर भारत के राज्यों जैसे हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और चंडीगढ़ में प्याज की आपूर्ति में कमी आई है।
इस बढे हुए मूल्य ने उपभोक्ताओं को मुश्किल में डाल दिया है और उन्हें खाने की इस जरुरी वस्तु के बढ़ते खर्चों के अनुकूल होने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। प्याज की कीमतें हाल के दिनों में तेजी से बढ़ी हैं, जिससे लोग परेशान हैं। थोक बाजारों में प्याज की कीमत 40-60 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 70-80 रुपये प्रति किलो हो गई है, और कुछ क्षेत्रों में यह 80 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है।
दिल्ली के बाजार में एक विक्रेता ने ANI को बताया, “प्याज की कीमत 60 रुपये से 70 रुपये प्रति किलो तक बढ़ गई है। हम इसे मंडी से लाते हैं, इसलिए वहां मिलने वाली कीमत सीधे हमारे विक्रय मूल्य को प्रभावित करती है। जिसके वजह से बिक्री में गिरावट आई है।”
महाराष्ट्र में अक्टूबर की बारिश के कारण नई लाल प्याज की फसल में देरी हुई, जिससे पूरे देश में प्याज की आपूर्ति पर असर पड़ा है। नवीनतम क्रिसिल रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2024 में घर में बनने वाली शाकाहारी थाली की लागत पिछले साल की तुलना में 20 प्रतिशत बढ़ी है। इस वृद्धि का मुख्य कारण त्योहारी सीजन में सब्जियों और खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि है।
इन सब्जियों की भी बढ़ी कीमते:
प्याज के अलावा टमाटर, प्याज और आलू की कीमतों में वृद्धि खास रही। क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रतिकूल मौसम की वजह से फसलों की कटाई में देरी हुई है, सितंबर की लगातार बारिश ने खरीफ प्याज और टमाटर की फसल को नुकसान पहुंचाया, और आलू के भंडारण में भी कमी आई है।
इस कारण टमाटर की कीमतें भी बढ़ी है, जो 29 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 64 रुपये प्रति किलो हो गईं। आलू की कीमतों में भी पिछले वर्ष की तुलना में 51 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।