इंदौर में हुए बावड़ी हादसे में न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया। 30 मार्च 2023 को हुए इस दर्दनाक हादसे में 36 लोगों की जान चली गई थी, लेकिन कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत न मिलने के चलते उन्हें बरी कर दिया।
पुलिस की जांच पर उठे सवाल
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पुलिस ने मामले की जांच सही ढंग से नहीं की, जिसके कारण किसी भी आरोपी के खिलाफ ठोस प्रमाण पेश नहीं किए जा सके। कोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि नगर निगम के अधिकारियों को भी जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए था, लेकिन उन्हें जांच का हिस्सा ही नहीं बनाया गया।
किन लोगों पर दर्ज हुआ था मामला?
जूनी इंदौर पुलिस ने श्री बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव मुरली गलानी के खिलाफ गैरइरादतन हत्या सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज किया था। दोनों को 22 मार्च 2024 को गिरफ्तार किया गया था और तभी से वे जेल में थे। हालांकि, अदालत में पेश किए गए सबूतों से उनकी संलिप्तता साबित नहीं हो सकी, जिसके चलते उन्हें रिहा कर दिया गया।
जांच में नगर निगम की भूमिका संदिग्ध
आरोपियों के वकील राघवेंद्र सिंह बैस ने दलील दी कि मजिस्ट्रियल जांच के बाद पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की थी। लेकिन जांच के दौरान केवल ट्रस्ट के पदाधिकारियों को आरोपी बनाया गया, जबकि नगर निगम के किसी भी अधिकारी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया।
निगम की लापरवाही पर अदालत की सख्त टिप्पणी
अदालत ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि पुलिस और नगर निगम की कार्यप्रणाली में गंभीर खामियां थीं। ट्रस्ट के अध्यक्ष और सचिव पर लापरवाही का आरोप गलत पाया गया क्योंकि उन्हें यह जानकारी ही नहीं थी कि वहां बावड़ी स्थित है। हादसा रामनवमी के दिन हुआ था, जब मंदिर में पूजा-पाठ चल रहा था, लेकिन इसका ट्रस्ट से कोई सीधा संबंध नहीं था।
पीड़ित परिवारों में रोष
इस फैसले के बाद पीड़ित परिवारों में निराशा देखने को मिली, वहीं प्रशासन की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। अब यह बहस छिड़ गई है कि आखिर 36 मौतों के लिए जिम्मेदार कौन है और क्या दोषियों को कभी सजा मिलेगी?
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