शहर की तेज धूप और 41 डिग्री तापमान के बीच मंगलवार को एक हैरान कर देने वाला नज़ारा देखने को मिला जब एक वृद्ध दंपती कब्जे की शिकायत लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और उन्होंने मुख्य द्वार से पोर्च तक ज़मीन पर लोटते हुए अपनी पीड़ा जताई।
यह दृश्य केवल विरोध नहीं, बल्कि एक व्यवस्था पर करारा तमाचा था, जहां बुजुर्ग अपने अधिकार के लिए सड़क पर उतरने को मजबूर हुए। आसपास खड़े सुरक्षाकर्मियों और राहगीरों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन उनका दर्द उन सभी कोशिशों से बड़ा था।
प्लॉट पर जबरन कब्जे की शिकायत
दंपती, जो तेजाजी नगर के निवासी बताए गए हैं, ने आरोप लगाया कि उनके प्लॉट पर दो स्थानीय युवकों—शेखर और गोलू—ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। बार-बार शिकायतों और निवेदनों के बावजूद उन्हें न तो पुलिस से मदद मिली और न ही प्रशासन ने कोई कार्रवाई की।
उनका कहना है कि विरोध करने पर धमकियां दी जाती हैं और अब वे इतने मजबूर हो चुके हैं कि सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा।
गर्मी और बेबसी में उबाल
दो वर्षों से अपनी जमीन के लिए लड़ रहे इस दंपती ने जब देखा कि हर ओर से निराशा ही मिल रही है, तो उन्होंने सोचा कि अब चुप बैठने से कुछ नहीं होगा। वे सीधे कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और पूरे परिसर में लोटते हुए अपनी समस्या का इजहार किया।
प्रशासन ने की सुनवाई, लेकिन कलेक्टर नहीं मिले
जब वे अंदर पहुंचे, तो पता चला कि कलेक्टर आशीष सिंह उस वक्त कार्यालय में मौजूद नहीं हैं। हालांकि, वहां मौजूद वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें सुना और मामले की गंभीरता को समझते हुए आश्वासन दिया कि इस पर प्राथमिकता से काम किया जाएगा।
अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि चूंकि मामला ज़मीन विवाद से जुड़ा है, इसलिए इसे पुलिस विभाग को रेफर किया गया है। दंपती को यह भरोसा दिलाया गया कि गुरुवार तक जरूरी कार्रवाई की जाएगी और न्याय दिलाने की हरसंभव कोशिश की जाएगी।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई इंसाफ की गुहार
इस पूरी घटना का वीडियो अब इंटरनेट पर वायरल हो चुका है। लोग बुजुर्गों की हालत देखकर भावुक हो रहे हैं और सवाल उठा रहे हैं—क्या आम नागरिक को अपने अधिकारों के लिए इस हद तक जाना ज़रूरी है?
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