मध्य प्रदेश में शराब बिक्री को लेकर एक बड़ा प्रशासनिक निर्णय लिया गया है। 1 अप्रैल 2025 से प्रदेश के 19 चिन्हित स्थानों पर शराब की दुकानें पूरी तरह से बंद कर दी जाएंगी, जिससे कुल 47 दुकानों पर ताले लगेंगे।
धार्मिक स्थलों में अब नहीं दिखेगी शराब की बोतल
राज्य सरकार ने यह निर्णय धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थानों को ध्यान में रखते हुए लिया है। उज्जैन, महेश्वर, चित्रकूट, अमरकंटक, ओंकारेश्वर और मैहर जैसे स्थानों को शराब मुक्त किया जा रहा है, जिससे इन तीर्थ स्थलों की पवित्रता बनी रहे।
कम अल्कोहल वाले बार को मिली मंजूरी
इसके साथ ही प्रदेश में “लो अल्कोहलिक बेवरेज बार” की शुरुआत की अनुमति भी दी गई है। इन बारों में केवल बीयर, वाइन और कम मात्रा में अल्कोहल (10% से कम) वाले पेय पदार्थ ही परोसे जाएंगे। सरकार का मानना है कि इससे शराब संस्कृति को नियंत्रित तरीके से संचालित किया जा सकेगा।
राजस्व को झेलनी पड़ेगी मार
इस फैसले से प्रदेश को अनुमानित 450 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा झेलना पड़ सकता है, लेकिन मुख्यमंत्री मोहन यादव का कहना है कि यह सामाजिक हित में लिया गया निर्णय है और इसका असर दीर्घकालिक रूप से सकारात्मक रहेगा।
पीने पर नहीं बिक्री पर सख्ती
हालांकि जिन क्षेत्रों में बिक्री बंद होगी, वहां बाहर से शराब लाकर पीने पर प्रतिबंध नहीं होगा। अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी की जगह आबकारी नियंत्रण व्यवस्था लागू है, जबकि बिहार और गुजरात में पूर्ण शराबबंदी कानून है।
लाइसेंस नवीनीकरण अब होगा महंगा
नई नीति के तहत राज्य की शराब दुकानों के लाइसेंस को नवीनीकृत कराने की फीस में 20% की वृद्धि की गई है। यह बदलाव अगले वित्तीय वर्ष से प्रभावी होगा।
बिजली चोरी पर बड़ी कार्रवाई: प्रबंध संचालक ने खुद पकड़ी बिजली चोरी, जिम्मेदारों पर गिराई गाज