मध्यप्रदेश में विकास योजनाओं को ज़मीन पर उतारकर नाम कमाने वाले एक अधिकारी को अचानक हुए एक घटनाक्रम में पद से हटा दिया गया। राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश के तहत पोहरी जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी गिरिराज शर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
अनुमति के बिना कार्यक्रम करने पर कार्रवाई
शर्मा पर यह आरोप है कि उन्होंने मंत्री के दौरे के दौरान बिना अग्रिम स्वीकृति के वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित कर डाला, जबकि विभागीय नियमों के अनुसार यह गतिविधि तय तिथि के बाद ही संभव थी। इस आयोजन में आम नागरिकों को बुलाया गया और इससे जनता तथा मीडिया को भ्रामक संदेश गया, जिससे विभाग की छवि को नुकसान पहुँचा।
जनजातीय हिट के कार्य किये गए दरकिनार
शर्मा की अगुवाई में शिवपुरी और पोहरी जैसे क्षेत्रों में प्रधानमंत्री जनमन योजना के अंतर्गत देश में सर्वाधिक मकान बनाए गए, जिनमें विशेषकर सहरिया आदिवासी समुदाय को प्राथमिकता दी गई थी। इन उपलब्धियों के कारण जिला प्रशासन को प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राज्यपाल तक की सराहना मिली थी। बावजूद इसके, एक विवादित घटना ने इस अफसर की मेहनत को दरकिनार कर दिया।
मंत्री के तेवर और वायरल वीडियो बना वजह
पंचायत मंत्री प्रह्लाद पटेल हाल ही में पोहरी के देवपुरा गांव में एक कार्यक्रम के दौरान सार्वजनिक रूप से नाराज हुए, और उनकी नाराजगी का वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से फैल गया। वीडियो में वे अधिकारियों के साथ सख्त और असंतोषजनक लहज़े में संवाद करते नजर आए। इसके बाद से ही चर्चा शुरू हो गई कि कार्रवाई होना तय है।
यह पहला मौका नहीं है जब मंत्री पटेल विवाद में घिरे हों। इससे पहले भी उनका एक बयान सामने आया था, जिसमें उन्होंने लोगों की मांगों को “भीख” करार दिया था, जिससे व्यापक आलोचना हुई थी।
निलंबन पर उठे सवाल
इस निलंबन के बाद राज्य के प्रशासनिक गलियारों में हलचल बढ़ गई है। कई अधिकारियों का मानना है कि अगर इतनी मेहनत और बेहतर प्रदर्शन के बाद भी ऐसी सज़ा मिले, तो यह निष्ठावान अफसरों के लिए निराशाजनक संदेश है।
गिरिराज शर्मा का निलंबन एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हमारे सिस्टम में परिश्रम और प्रतिबद्धता से ज़्यादा प्रभावशाली चेहरों की नाराज़गी मायने रखती है?
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