दमोह जिले के तेंदूखेड़ा विकासखंड में स्थित ग्राम पंचायत खमरिया के नन्हीं देवरी गांव में पानी का संकट अब जीवन की बड़ी चुनौती बन चुका है। यहां के निवासी हर सुबह अपनी दिनचर्या की शुरुआत दो किलोमीटर दूर एक पुराने कुएं से पानी लाने की मशक्कत से करते हैं।
गांव की कुल जनसंख्या करीब 600 है, लेकिन जलसंकट ने इसे रहने लायक नहीं छोड़ा है। सालों से पानी की समस्या बनी हुई है, लेकिन इस बार हालात ने सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। हैंडपंप पूरी तरह सूख चुके हैं और पीने के पानी का कोई स्थायी साधन गांव में मौजूद नहीं है। ऐसे में कई परिवार गांव छोड़ चुके हैं, जबकि बाकी लोग पलायन की तैयारी में हैं।
बच्चों की पढ़ाई भी बनी बलि का बकरा
पानी जुटाने की जिम्मेदारी अब बच्चों और महिलाओं पर भी आ गई है। लड़कियां सिर पर बर्तन रखकर मीलों चल रही हैं, और लड़के साइकिल या बैलगाड़ी से डिब्बे भरकर लाते हैं। दिन का बड़ा हिस्सा पानी लाने में ही चला जाता है, जिस कारण न तो पुरुष कोई मजदूरी कर पाते हैं, और न ही बच्चे स्कूल जा पा रहे हैं।
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गांव में एक समय जल संसाधन विभाग ने बड़ा तालाब बनाने की योजना शुरू की थी, लेकिन वन विभाग की आपत्ति के चलते काम बीच में ही रोक दिया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि पहले जंगल कटवाए गए, और अब उसी भूमि पर निर्माण कार्य रुकवा दिया गया है। इससे गांव की उम्मीदें और भी धुंधली हो गई हैं।
पानी की कमी से मवेशी भी दम तोड़ रहे
गांव के इर्द-गिर्द मरे हुए मवेशी अब आम नज़ारा बन चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्यास के कारण जानवरों की मौत हो रही है, क्योंकि पीने को एक बूँद पानी नहीं बचा है।
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए तेंदूखेड़ा जनपद सीईओ मनीष बागरी ने पंचायत को हर दिन तीन पानी के टैंकर भेजने का निर्देश दिया है, जिसकी शुरुआत तुरंत की जा रही है। वहीं एसडीएम सौरभ गंधर्व ने भी पीएचई और जल निगम की टीमें गांव रवाना की हैं, और तालाब निर्माण को लेकर वन विभाग से बैठक कर जल्द समाधान निकालने की बात कही है।
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