प्रदेश में बाल विवाह को रोकने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग 2013 से लाड़ो अभियान चला रहा है, जिसके अंतर्गत जनसामान्य को गतिविधियों के माध्यम से बाल विवाह के प्रति जागरूक किया जाता है। इस वर्ष भी 12 नवंबर को देवउठनी ग्यारस के मौके पर आयोजित होने वाले सामूहिक एवं प्राइवेट विवाह समारोहों में बाल विवाह की संभावनाओं को देखते हुए, कलेक्टर द्वारा सभी विभागों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
इस मुहीम में आंगनवाड़ी स्तर पर उन परिवारों की जाँच की जाएगी जिनमें बच्चों का विवाह तय किया गया है। यदि विवाह तय उम्र से पहले का है, तो उन्हें कानूनी उम्र तक विवाह स्थगित करने का परामर्श दिया जाएगा। साथ ही, विवाह सेवा प्रदाताओं, जैसे टेंट हाउस, विवाह पत्रिका प्रिंटर, बैंड बाजा, धर्मगुरु और समाज के मुखियाओं से अपील की गई है कि वे बाल विवाह में सहयोग न करें।
कलेक्टर डॉ. राहुल फटिंग ने भी सभी से अपील की है कि 12 नवंबर को देवउठनी ग्यारस के अवसर पर किसी भी सामूहिक विवाह में बाल विवाह न हो। इसके लिए एक संयुक्त टीम द्वारा विवाह में शामिल होने वाले वर-वधू की उम्र के दस्तावेजों की जाँच की जाएगी। बाल विवाह पाए जाने पर संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006:
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अनुसार, 18 वर्ष से कम उम्र की बालिका और 21 वर्ष से कम उम्र के बालक का विवाह कानूनी अपराध माना जाता है, जिसके लिए दोषी को 2 साल की सजा और 1 लाख रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
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बाल विवाह रोकने के लिए प्रशासन द्वारा हेल्पलाइन नंबर भी जारी किये गए है। जिसके तहत बाल विवाह की शिकायतें 1098, डायल 100, जिला कार्यक्रम अधिकारी (महिला एवं बाल विकास बड़वानी) के मोबाइल नंबर 9685233500 और सहायक संचालक (महिला एवं बाल विकास) अजय गुप्ता के मोबाइल नंबर 9893324729 पर की जा सकती हैं। शिकायतकर्ता का नाम गोपनीय रखा जाएगा।
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